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“श्री धनवन्तरयें नमः”

न त्वहं कामये राज्यं , न स्वर्गं न पुनर्भवम् |
काममेह दुःख तप्तानां प्राणिनाम्, आर्त नाशनम् ||

अर्थात न तो मुझे राज्य की आकांक्षा हैं, न स्वर्ग की और न हीं मोक्ष की इच्छा हैं | मेरी तो केवल एक हीं कामना हैं की दुखों से पीड़ित प्राणियों का कष्ट दूर करने का कारण बन सकूँ |

संस्थापक स्व. वैध श्री रामेश्वर लाल जी शर्मा
संस्थापक
स्व. वैद्य  श्री रामेश्वर लाल जी शर्मा
आयुर्वेदाचार्य

संस्थापक स्व. वैध श्री द्वारका प्रसाद जी शर्मा
संस्थापक
स्व. वैद्य श्री द्वारका प्रसाद जी शर्मा
भिषगाचार्य (B.A.M.S.)

इस आदर्श ध्येय वाक्य को अपनाकर हमारे संस्थान के संस्थापक स्व वैद्य रामेश्वर लाल जी शर्मा आयुर्वेदाचार्य (1920-2000) ने 1975 मे इस संस्थान  की नींव रखी जिसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता की विश्वसनीय औषधियों का निर्माण कर जन सामान्य को उचित मूल्य पर श्रेष्ठ आयुर्वेदिक औषधियां उपलब्ध कराना हैं |

इससे न केवल जन सामान्य मे आयुर्वेद का प्रचार प्रसार होगा बल्कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्दति के प्रति श्रद्धा का भी विकास होगा जिसकी वर्तमान मे महत्ती आवश्यकता हैं |

स्व वैद्य रामेश्वर लाल जी शर्मा ने देश की आजादी के समय से लेकर लगभग 50 वर्षो तक अत्यल्प  संसाधनों द्बारा भी न केवल रींगस ( शेखावटी) क्षेत्र मे बल्कि राजस्थान के दूर दराज के क्षेत्रो मे भी आयुर्वेद चिकित्सा के झंडे गाड़े| भगवान् धन्वन्तरी की कृपा से सस्ती सुलभ एवम विश्वसनीय चिकित्साप्रदान कर रोगी को रोगमुक्त करना इनके जीवन का प्रमुख लक्ष्य रहा |

इन्हीं के पदचिन्हों पर चल कर इनके पुत्र एवं हमारे पूर्व प्रबंध निदेशक स्व वैद्य  द्वारका प्रसाद जी शर्मा (भिषगाचार्य- B A M S) (1948-2010) ने उचित मूल्य पर आयुर्वेदिक औषधियां जन सामान्य को उपलब्ध करने का बीड़ा उठाया जो आज हमारे संस्थान के रूप मे निरंतर आयुर्वेद की सेवा में संलग्न हैं | उनके अथक परिश्रम निरंतर अनुसंधान एवं  उच्च आदर्शो के मापदंडो को लेकर चलने से 1975 मे रोपा गया ये नन्हा पौधा आज धीरे धीरे समय पाकर वृक्ष के रूप मे परिणीत हो रहा हैं |

प्रारंभ मे हाथ से चलने वाले कुछ सामान्य उपकरणों एवं यंत्रो से शुरू हुआ ये सफ़र आज क्रमशः नवीनतम स्वचालित यंत्रो एवं  पारम्परिक विधियों के मेल से निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर हैं |

निर्माण की शास्त्रीय विधियों एवं आधुनिक नवीन तकनीकी युक्त स्वचालित उपकरणों एवं मशीनों के सामंजस्य से लगभग 200 से अधिक पेटेंट व शास्त्रोक्त औषधियों का निर्माण किया जा रहा हैं| नवीन अनुसंधानों एवं  प्रयोगों को व्यवहृत करते हुए हमारी कंपनी ( संस्थान ) निरंतर नवीन उत्पाद बाज़ार मे लाती रही हैं तथा भविष्य मे भी निरंतर प्रयत्नशील रहेगी |

शुद्धता उच्च गुणवत्ता एवं विश्वसनीयता हमारा ध्येय हैं | संस्थान मे सभी कच्चे द्रव्य, काष्ठ औषधियाँ (वनोपज) शुद्धता के लिहाज से साबुत, यथासंभव ताजे तथा उत्पाद क्षेत्रो  से ही प्राप्त कर उपयोग किये जाते हैं| औषधि निर्माण मे पूर्णतः शास्त्रोक्त  विधियों एवं  क्रियाओ का पालन किया जाता हैं |

कंपनी G M P प्रमाणित हैं तथा भारत सरकार (1984) एवं राजस्थान सरकार (1988) द्वारा सरकारी कर्मचारियों एवं  पेंशनर्स के लिए प्रतिपूर्ति (reimbursement) हेतु मान्यता प्राप्त हैं| कंपनी में सन्दर्भ ग्रंथो एवं उपसंदर्भ ग्रंथो से सुसज्जित लाइब्रेरी एवं प्रयोगशाला हैं जहाँ निरंतर नवीन उत्पादों पर अनुसंधान चलते रहते हैं |

प्रशिक्षित, योग्य एवं अनुभवी तकनीशियनों की देखरेख मैं दक्ष कर्मचारियों द्वारा विभिन्न औषधियों यथा सीरप, वटी – गुटिका, चूर्ण, भस्म-पिष्टिया, पाक-अवलेह, अर्क, घृत तेल, क्वाथ आदि का निर्माण सुव्यवस्थित किया जाता हैं |

हमारे सम्मानीय ग्राहकों एवं सहयोगियों का हम हार्दिक आभार प्रकट करते हैं | तथा बाज़ार मे भागीदारी बढ़ाने हेतु रजि. चिकित्सक, डिस्ट्रीब्यूटर एवं रिटेलर व्यापारिक पूछताछ हेतु आमंत्रित हैं|

आपका सहयोग सदैव अपेक्षित हैं तथा सुझाव एवं मार्गदर्शन का स्वागत हैं|

धन्यवाद!

मैनेजर
श्री विष्णु आयुर्वेदिक फार्मेसी
रींगस (राज.)